Homeपरिदृश्यटॉप स्टोरीसुनक की इस हार में क्यों छिपी है जीत की उम्मीद? जानिए...

सुनक की इस हार में क्यों छिपी है जीत की उम्मीद? जानिए इसके कारणों को…

spot_img

लंदन 06 सितंबर ( गणतंत्र भारत के लिए एजेंसियां ) : लिज़ ट्रस ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बन गई हैं। बोरिसस जॉनसन की सरकार में वे ब्रिटेन की विदेश मंत्री थीं। उनका मुकाबला भारतीय़ मूल के ऋषि सुनक के साथ था। वे जॉनसन सरकार में वित्त मंत्री थे। लिज़ ट्रस पोल्स में लगातार सुनक से आगे बनी हुई थीं। हालांकि उम्मीद की जा रही थी कि ब्रिटेन के लोग खासे लोकप्रिय ऋषि सुनक को चुनकर मुकाबले को ऐतिहासिक बना देंगे।

भारत के लिए क्य़ों खास था ये चुनाव ?

हालांकि ब्रिटेन में  सत्ता की भागीदारी में पहले से ही कई भारतीयों को अहम पदों पर तैनात किया जाता रहा है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि कोई भारतीय मूल का व्यक्ति बिटेन में प्रधानमंत्री पद की रेस में शामिल हुआ। 42 वर्षीय़ ऋषि सुनक भारत में इनफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं और वे ब्रिटेन में बहुत ही संभ्रांत लोगों में शुमार किए जाते हैं। ऋषि सुनक हिंदू हैं और धार्मिक तौर-तरीक़े भी अपनाते हैं। 2015 में संसद का पहली बार चुनाव जीतने के बाद उन्होंने गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी। वे ब्रिटेन के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं। इस पद पर कोविड महामारी से कामयाबी से निपटने पर उन्होंने काफ़ी नाम कमाया था।

देश में प्रधानमंत्री पद की रेस को लेकर बहुत से पोल्स किए गए और कइयों में सुनक को एक मजबूत दावेदार के रूप में पाया गया। लेकिन, एक सवाल हमेशा बना रहा कि शायद ऋषि का भारतीय मूल का होना कंजरवेटिव पार्टी को कितना रास न आए। सवाल, उनकी संपन्नता को लेकर भी उठाय़ा गया और उनकी पत्नी पर टैक्स नियमों के उल्लंघन का आरोप भी लगा। कंजरवेटिव पार्टी के 160,000 से अधिक सदस्यों को अपना वोट देकर ऋषि सुनक और लिज़ ट्रस में से किसी एक को लीडर चुनना था। पार्टी के 97 प्रतिशत सदस्य गोरे हैं और 50 प्रतिशत से अधिक पुरुष। इसके अलावा पार्टी में वृद्ध सदस्यों और पारंपरिक सोच वाले सदस्यों की भी अच्छी खासी संख्या है। पार्टी की युवा पीढ़ी का झुकाव ऋषि सुनक की तरफ नजर आ रहा था लेकिन निर्णायक बनने की स्थिति में वे नहीं थे।

आगे का संकेत

ब्रिटेन इस समय बेतहाशा महंगाई और खस्ताहाल अर्थव्य़वस्था से जूझ रहा है। विदेश नीति के मोर्चे पर बड़ी चुनौतियां पहले से मौजूद हैं। लिज़ ट्रस के निर्वाचन की घोषणा होते ही पाउंड की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट देखी गई। ये मुद्रा 1985 की स्थिति में पहुंच गई। ट्रस ने चुनावों के दौरान कई लोकलुभावन वादे किए हैं कॉर्पोर्शन टैक्स के खात्मे की बात भी है। बतौर वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने अप्रैल में नेशनल इंश्योरेंस या राष्ट्रीय बीमा वृद्धि की थी जबकि लिज़ ने वचन दिया था कि वो इस बढ़ोतरी को वापस लेंगी। उनकी दलील थी कि भारी कर अर्थव्यवस्था के विकास में बाधक होते हैं।

इन वादों से उपजी चुनौतियां जहां नए प्रधानमंत्री के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगी वहीं सुनक के लिए 2024 में होने वाले आम चुनावों में अपनी जमीन को मजबूत करने का आधार तैयार करेंगी। ये बात मानी जा रही है कि अगर ब्रिटन में आम चुनाव होते को सुनक आसानी के साथ चुनाव जीत जाते लेकिन वे उस पार्टी की अंदरूनी रेस में थे जिसके लिए किसी गैर गोरे को चुनना लगभग नामुमकिन जैसा काम था।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

 

Print Friendly, PDF & Email
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

- Advertisment -spot_img

Recent Comments