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चर्चा में यूपी का ‘योगी मॉडल’, जानिए, खेल ब्रांडिंग का या परसेप्शन का ?

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लखनऊ, 30 जुलाई (गणतंत्र भारत के लिए हरीश मिश्र ) :  आपने गुजरात मॉडल या फिर दिल्ली मॉडल के बारे में सुना होगा लेकिन इन दिनों देश में एक नए मॉडल योगी मॉडल की चर्चा है। पहले के दोनों मॉडल राज्य के विकास मॉडल से संबंधित है जबकि योगी मॉडल का संबंध उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस मॉडल से ताल्लुक रखता है जो कानून-व्यवस्था के नाम पर त्वरित कार्रवाई के रूप में जाना जाता है।

हाल-फिलहाल योगी मॉडल चर्चा में तब आया कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने  दक्षिण कर्नाटक में बीजेपी नेता प्रवीण नेट्टारु की हत्या के बाद पनपे सांप्रदायिक तनाव के बीच ये कह कर सबको चौंका दिया कि ज़रूरत पड़ी तो वे इस मामले में ‘योगी मॉडल’ की तर्ज़ पर कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में दो अभियुक्तों ज़ाकिर और शफ़ीक़ की गिरफ़्तारी की गई है। ऐसा माना जा रहा है कि हिंदू वोट बैंक की नाराज़गी को कम करने और अपनी जड़ों को मज़बूत करने के उद्देश्य से बोम्मई ने योगी मॉडल जैसा बयान दिया है।

बसवराज बोम्मई ने अपने बयान में कहा था कि, उत्तर प्रदेश की स्थिति के हिसाब से योगी सबसे सही मुख्यमंत्री हैं। कर्नाटक में स्थिति से निपटने के लिए अलग तरीके हैं और इन सबका इस्तेमाल किया जा रहा है। हां, अगर ज़रूरत पड़ी तो योगी मॉडल वाली सरकार कर्नाटक में भी आएगी। बोम्मई के इस बयान को उत्तर प्रदेश की जनता और योगी सरकार अपनी तारीफ समझे या आलोचना ये उसके विवेक पर निर्भर करता है।

योगी मॉडल से मतलब क्या है ?

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का दावा है कि अपराध को लेकर उसकी जीरो टॉलरेंस की नीति है। योगी सरकार बिना जाति और धर्म देखे कानून का उल्लंघन करने वालों और समाजविरोधी तत्वों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करती है। गिरफ्तारी और सख्त धाराओं में मुकदमें दर्ज करने के अलावा, अपराधियों के घऱों पर बुल्डोजर चलवा देना और संपत्ति जब्त कर लेना, सब कुछ योगी मॉडल ही हिस्सा है। इसी कारण योगी मॉडल विवादों में भी रहा है। अदालतें हों या विपक्षी दल सभी ने योगी सरकार की इन कार्रवाइयों पर सवाल उठाए हैं और सरकार को कानून और संविधान सम्मत तरीके से चलाने की मांग की है। योगी सरकार की ऐसी कार्रवाइयों के खिलाफ नाराजगी को जाहिर करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को बुल्डोजर बाबा कह कर चुटकी ली थी।

पत्रकार राधारमण कहते हैं कि, योगी मॉडल एक तरह से कानून और संविधान से इतर किसी व्यवस्था का नाम बन गया है। आप अपराधी हैं ये आरोप लगाने वाला, फैसला सुनाने वाला और कार्रवाई करने वाला सब कुछ पुलिस और प्रशासन ही है। हो सकता है कुछ लोग इसे सही मानते हों लेकिन इसका दूसरा पक्ष भी है। उस पर गौर करना चाहिए। ऐसे हालात में पुलिस-प्रशासन बेलगाम हो जाता है और वो अपनी नाजायज हरकतों को भी सही ठहराने लगता है। ये अराजकता की दिशा में बढ़ने जैसा है। फिर अदालतों और कोर्ट-कचेहरी की क्या जरूरत रह जाती है ?

कानपुर में विकास दुबे का एनकाउंटर हो या उसके घर पर बुल्डोजर चलवाने की घटना, या फिर नूपुर शर्मा के बयान के बाद प्रयागराज में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद कथित तौर पर मास्टरमाइंड बताए गए जावेद पंप के घर को अवैध निर्माण बता कर उस पर बुल्डोजर चलवाने की घटना, ऐसी कई घटनाएं हैं जिसमें पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई दागदार रही।

क्या संदेश देने की कोशिश ?

राधारमण मानते हैं कि योगी मॉडल दरअसल अपराधियों और अभियुक्तों को दंड देने की प्रक्रिया भर नहीं है,  इसके पीछे पूरे प्रदेश और अब देश भर में मज़बूत संदेश देने की कोशिश की जा रही है। योगी आदित्य नाथ की ब्रांडिंग ऐसे प्रशासक के तौर पर हो रही है जो अपराध के ख़िलाफ़ फ़ौरन कार्रवाई करता है। योगी मॉडल से प्रभावित होकर बीजेपी शासित दूसरे राज्यों मध्य प्रदेश और असम में भी कथित तौर पर अपराधियों की  संपत्तियों पर बुल्डोजर चलवाने की कार्रवाई की गई है।

पत्रकार मैथ्यू जॉर्ज कहते हैं कि, योगी मॉडल, बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को भी सूट करता है। यूपी में सरकार भले दावा करे कि उसकी कार्रवाई निष्पक्ष है लेकिन आप गहराई में जाएंगे तो पाएंगे कि कुछ मामलों को छोड़ दें तो वो अधिकतर मुसलमानों या फिर राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ की गई। सरकार के खिलाफ बोलने और लिखने वाले भी निशाने पर होते हैं। केरल के पत्रकार कप्पन के खिलाफ देशद्रोह जैसे मामले दर्ज कर दिए गए क्योंकि वे हाथरस कांड की रिपोर्टिंग के लिए जा रहे थे।

चुनावी जीत क्या योगी मॉडल का जस्टिफिकेशन है ?    

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में 37 साल बाद ऐसा हुआ जब यूपी में पांच साल सरकार चलाने के बाद कोई दल दोबारा सत्ता में आया। उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने अपने दम पर 255 सीटें हासिल कीं। कहा गया कि मोदी के साथ इस बार यूपी में योगी मॉडल पर जनता की मुहर लगी। 2014 के बाद से बीजेपी ने देश में हर चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा। 2017 का यूपी चुनाव भी मोदी के चेहरे पर ही लड़ा गया और जीत मिलने के बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन साल 2022 में बीते पांच साल के परफ़ॉर्मेंस के आधार योगी आदित्य नाथ के चेहरे को आगे रख कर बीजेपी ने चुनाव लड़ा और जीता।

योगी मॉडल पर क्या कहती है बीजेपी ?

विधानसभा चुनावों से पहले योगी आदित्य नाथ ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा था कि 2017 के बाद अपराधी य़ूपी छोड़कर जा रहे हैं। लेकिन,  राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में 28 फ़ीसदी अपराध बढे हैं। इसके अलावा, सबसे ज़्यादा हत्या और अपहरण के मामले भी उत्तर प्रदेश में ही दर्ज किए गए। लेकिन 2020 के आंकड़ों के ज़रिए सरकार ने ये भी दावा किया कि राज्य में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध घटे हैं।

बीजेपी का दावा है कि योगी सरकार उत्तर प्रदेश में किसी को भी कानून हाथ में लेने की छूट नहीं दे सकती चाहे वो किसी भी मज़हब या धर्म का हो। मुख्यमंत्री ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवाए तो मंदिरों से भी। सड़कों पर धार्मिक आयोजन और नमाज दोनों  को रोका। लेकिन, बीजेपी के इस दावे पर मैथ्यू ज़ॉर्ज सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि यूपी में इन दिनों कांवड़ियों के ऊपर जिस तरह से पुलिस प्रशासन मेहरबान है क्या वो निष्पक्षता को दर्शाता है ?

मैथ्यू कहते हैं कि, कानून-व्यवस्था अच्छी हो इससे अच्छा क्या हो सकता है लेकिन योगी मॉडल को लेकर जिस तरह की सोच बन रही है वो देश के लिए खतरनाक है। ये एक पुलिस स्टेट की शुरुवात है। देश में विधान है, कोर्ट कचेहरी हैं, कानून है। सभी की जिम्मेदारियां हैं। अगर सारे फैसले कोई एक ही करने लगे तो ये लोकतंत्र के लिए घातक स्थित होगी।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया  

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