नई दिल्ली ( कृतिका शर्मा, स्पैन हिंदी पत्रिका से साभार): अमेरिकी वक्ता डॉ. जॉन मैकमुलेन लेमेरी ने अंतरिक्ष में चरम परिस्थितियों के चलते आने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों पर अपने शोध में साझा किया है कि किस तरह से लंबी समयावधि के मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार करने में मदद की जा सकती है।
सुदूर अंतरिक्ष में महीनों लंबे चलने वाले मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों को स्वस्थ कैसे रखा जाए? अमेरिका और भारत जैसे अंतरिक्ष अभियानकारी देशों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का स्वास्थ्य उनकी प्राथंमिकता के विषयों में शामिल है, खासकर तब, जबकि वे लंबे एवं और अधिक जटिल मिशनों की तैयारी की योजना बना रहे हैं।
डॉ. जॉन मैकमुलेन लेमेरी ने दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान आने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों पर शोध किया है और अमेरिकी विदेश विभाग के स्पीकर प्रोग्राम के तहत फरवरी 2025 में अपनी विशेषज्ञता को भारत लेकर आए। वह इमरजेंसी मेडिसिन के प्रोफेसर हैं और स्कूल ऑफ मेडिसिन, कलैराडो यूनिवर्सिटी में वाइल्डरनेस और एनवायरमेंटल मेडिसिन के प्रमुख हैं।
अपनी भारत यात्रा के दौरान, डॉ. लेमेरी ने अपने समकक्षों के अलावा, विद्यार्थियों, इजीनियरों, चिकित्सकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों से मुलाकात की। चेन्नई में उन्होंने विभिन विषयों के साथ स्वास्थ्य पैटर्न में देखे जाने वाले बदलावों पर चर्चा की। उन्होंने जपुर साहित्य उत्सव में एक पैनल वक्ता के रूप में हिस्सा लिया और हरियाणा की ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ जैसे संस्थानों का दौरा किया। यूनिवर्सिटी में दिए अपने भाषण में डॉ. लेमेरी ने अंतरिक्ष अन्वेषण और वैश्विक स्वास्थ्य के बीच महत्वपूर्ण संबंधों को स्पष्ट किया।
अंतरिक्ष सहयोग के विषय क्षेत्र को फरवरी 2025 में अमेरिका-भारत नेतृत्व के संयुक्त वक्तव्य में प्रमुखता दी गई जिसमें दीर्घकालिक मानव अंतरिक्ष मिशनों, अंतरिक्ष उड़ान सुरक्षा और ग्रहीय सुरक्षा समेत तमाम उभरते क्षेत्रों में विशेषज्ञता को साझा करना एवं पेशवरों के आदान-प्रदान जैसे सहयोग की बात कही गई है।
डॉ. लेमेरी का शोध चालक दल की सुरक्षा संबंधी अमेरिकी प्रयासों और मिशन की तैयारी में योगदान देता है। दीर्घकालिक मिशनों के दौरान आने वाली चिकित्सा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए उनका काम भविष्य के मिशनों के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष कार्यक्रम की क्षमता को मजबूती देता है और साथ ही उस तरह की चिकित्सा समझ को आगे बढ़ाता है जो अंतरिक्ष उड़ान और पृथ्वी की स्वास्थ्य प्रणालियों, दोनों के लिए ही फायदेमंद हों।
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्वास्थ्य समाधान
अंतरिक्ष यात्रियों के समक्ष आने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान को विकसित करना डॉ. लेमेरी के काम का मुख्य बिंदु है। वह कहते हैं, ‘‘मैं ह्यूमन रिसर्च प्रोग्राम का चिकित्सक हूं। हम देखते हैं कि दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के दौरान लोगों की देखभाल कैसे की जाए और उनके स्वास्थ्य से जुड़े चिकित्सा जोखिमों को बेहतर तरीके से समझा जा सके।’’ उनकी विशेषज्ञता ‘‘अंतरिक्ष में उपयोग के लिहाज से सर्वोत्तम तकनीक लाने’’ में निहित है। लंबी दूरी के मिशनों की तैयारी में सावधानीपूर्वक विकल्प चुनना जरूरी होता है। डॉ. लेमेरी के अनुसार, ‘‘हमें बहुत सोच समझ कर निर्णय लेना होता है क्योंकि आप हर चीज़ (अंतरिक्ष उड़ान में ) नहीं ले जा सकते हैं।’’ हर निर्णय तकनीक, संसाधनों और जोखिम के बीच संतुलन का होता है। उदाहरण के लिए, टीमों को एंटीबायोटिक्स या अल्ट्रासाउंड मशीन, जलशोधन उपकरण या ट्रेडमिल में से अपने विकल्पों का चुनाव करना पड़ सकता है। वह स्पष्ट करते हैं, ‘‘हम ये समझौते न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में, बल्कि अंतरिक्ष यान की व्यापक इंजीनियरिंग प्राथमिकताओं के साथ भी करते हैं।’’
इन निर्णयों में मदद करने के लिए इंजीनियरों की एक टीम ‘‘प्रॉबेबिलिस्टक रिस्क एसेसमेंट इंजन’’ नामक टूल के साथ काम करती है। डॉ. लेमेरी की टीम इस टूल का इस्तेमाल स्पेसवॉक या कंप्यूटर चलाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के संचालन संबंधी मेडिकल फैसलों में करती है। वह स्पष्ट करते हैं कि यह टूल, मेडिकल जोखिम से जुड़ी विभिन्न परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए काम करता है। यह अंतरिक्ष यात्रियों के समक्ष स्पेस में आने वाली 120 विभिन्न स्थितियों का आंकलन कर सकता है। इस तरह से हालात को समझते हुए टीम यह फैसला ले पाती है कि कौन सी मेडिकल सप्लाई ले जाना ज्यादा जरूरी है।
भविष्य एआई का
जैसे-जैसे अंतरिक्ष अन्वेषण इंसान की क्षमताओं की सीमाओं को विस्तार देता जा रहा है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य में महत्व बढ़ता जा रहा है। लेमेरी कहते हैं, ‘‘मेरा मानना है कि एआई इन फलाइट क्रू को फैसले लेने में सहायता कर सकता है। इससे उनकी उपचार और नैदानिक क्षमता बढ़ेगी और उन्हें और अधिक आजादी मिल सकेगी।’’
वह बताते हैं कि किस तरह से एआई अंतरिक्ष मिशनों से मिला विशाल डेटा, जैसे चालक दल के जीवन संकेत, चिकित्सा इतिहास, पर्यावरणीय परिस्थितियां और उपलब्ध संसाधन को एकीकृत किया जा सकता है। लेमेरी स्पष्ट करते हैं कि ‘‘जब हम इस बारे में सोचते हैं कि किस तरह से चालक दल के पहनावे और कैप्सूल के साथ डेटा एकीकृत होता होगा, तब उनकी चिकित्सा पृष्ठभूमि, वाहन की पर्यावरणीय स्थितियां और इन्वेंट्री की समझ को भी ध्यान में रखना होता है। इससे हमारे पास एक ठोस और अंतरिक्ष केंद्रित चिकित्सा डेटाबेस बनता है।’’ वह यह भी बताते हैं कि एआई आपात स्थितियों में वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी के माध्यम से चिकित्सा प्रशिक्षण प्रदान कर सकता है।
चरम परिस्थितियों के लिए अनुकूलन
एक दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र है अंतरिक्ष यात्रियों को पर्यावरण की चरम परिस्थितियों, खासकर ठंडे मौसम में काम करने के लिए तैयार करना। कलैराडो यूनिवर्सिटी में, डॉ. लेमेरी क्रायोस्फीयर ऑस्टियर मेडिसिन प्लेटफॉर्म (सीएएमपी) का निर्देशन करते हैं, जो अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में अमेरिकी बढ़त को बनाए रखने के लिए जरूरी चंद्रमा या मंगल जैसे दीर्घकालिक मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों की स्वास्थ्य परिस्थितियों में सहायता करने का काम करता है।
सीएएमपी, डेनेवर, कलैराडो में अमेरिकी नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) की आइस कोर फैसिलिटी के साथ सहयोग करता है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए ध्रुवीय हिमपट्टी संग्रहीत करता है। अमेरिकी रक्षा विभाग ठंडे पर्यावरण संबंधी शोध के लिए पैसा उपलब्ध कराता है जबकि एनएसएफ इस सुविधा को एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक संसाधन की दृष्टि से सहायता देता है।
सीएएमपी में, डॉ. लेमेरी का काम अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर समान ठंडी परिस्थितियों का अनुकरण करके अंतरिक्ष में ठंड की चरम स्थितियों के लिए तैयार करने में सहायता कर रहा है। उनकी टीम स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वाले फील्ड मेडिक्स को भी ठंडे माहौल में अनुकूलन के लिए प्रशिक्षित करती है। वह बताते हैं, ‘‘हम उन्हें एक मानकीकृत किट देते हैं और कहते हैं कि आपके पास किसी को फिर से जीवन देने की स्थिति में 12 तरह के परिदृश्य हैं।’’ इनमें हाइपोथर्मिया का उपचार, स्प्लिंट लगाना और टर्निकेट का इस्तेमाल शामिल है। इसका मकसद सिर्फ यह आंकना है कि वे अत्यधिक ठंड की स्थिति में कितनी सटीकता से प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
अनुकूलन के अलावा, टीम मैनुअल दक्षता और संज्ञानात्मक क्षमता का परीक्षण भी करती है। डॉ. लेमेरी बताते हैं, ‘‘संज्ञानात्मक परीक्षण के लिए हम 100 में 7 घटाते हुए उलटी गिनती करने को कहते हैं। हमें लगता है कि आप कमरे के तापमान पर इसे ठंड के मुकाबले ज्यादा तेजी से कर पाएंगे।’’ वह मैनुअल दक्षता को भी परखते हैं-जैसे बोल्ट कसना- क्योंकि ठंड इस तरह के कौशल पर असर डालती है। इससे अनुकूलन टीम को इस बारे में बेहतर समझ मिल पाती है कि ठंड इंसानी प्रदर्शन को किस तरह से प्रभावित करती है। यह अनुसंधान अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण को बेहतर बनाता है और उन्हें अंतरिक्ष मिशनों के लिए तैयार करता है।
फोटो सौजन्य- स्पैन हिंदी पत्रिका