Homeपरिदृश्यअबूधाबी में भारतीय कला का ध्वजवाहक बना भारत भाव फाउंडेशन

अबूधाबी में भारतीय कला का ध्वजवाहक बना भारत भाव फाउंडेशन

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नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क) : अबूधाबी, जल्दी ही भारतीय कला में सराबोर होने जा रहा है। भारतीय कला के आधुनिक, शास्त्रीय एवं जनजातीय रूपों का संयोजन यहां एक ही मंच पर देखने को मिलने वाला है। इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक पहल को आकार देने का काम कर रहा है, भारत भाव फाउंडेशन। इस फाउंडेशन की स्थापना संयुक्त अरब अमीरात में कला संरक्षक बुती अल सुवेदी एवं भारतीय कला पारखी एवं संरक्षक आनंद शरद माडिया ने मिलकर की है। फाउंडेशन का उद्देश्य भारत की महान कला परंपराओं को उनके आधुनिक, शास्त्रीय एवं जनजातीय रूपों में संजोने के साथ उनका प्रदर्शन करना है।

वैसे तो इस आर्ट गैलरी को 2026 में शुरू किया जाना है लेकिन इस फाउंडेशन की वेबसाइट पहले ही लाइव हो चुकी है और लोगों के आकर्षण का केंद्र बन रही है। वेबसाइट, फाउंडेशन के उद्देश्य को स्पष्ट करने के साथ कलाकारों और उनके कलादर्शन के बारे में भी एक समझ को जाहिर करती है। वेबसाइट, डिजिटल प्रदर्शनियों, कथाओं एवं कहानियों की कहने की अपनी विशिष्ट शैली के कारण कला संस्कृति के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना रही है।

फाउंडेशन के विशिष्ट दर्शन के केंद्र में है एएम ब्रांट कलेक्शन जिसमें शुरुवाती तौर पर भारत के 30 जाने माने कलाकारों की कालजयी कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। इन कलाकारों ने आधुनिकता, पुनर्जागरण एवं क्षेत्रीय अभिव्यक्तियों को अपने तरीके से परिभाषित किया है। कलाकारों के इस समूह में एम.एफ. हुसैन, एफ.एन. सूज़ा, एस.एच. रज़ा, तैयब मेहता और वी.एस. गायतोंडे जैसे दिग्गजों के साथ-साथ जमिनी रॉय, नंदलाल बोस, रवींद्रनाथ ठाकुर, गणेश पाइन, जहांगीर सबावाला, के.एच. आरा, जेरम पटेल, सतीश गुजराल जैसी दिग्गज हस्तियां शामिल हैं। इन कलाकारों ने स्वंतत्रता पूर्व एवं आजादी के बाद की कला सौंदर्य चेतना को एक नया आकार दिया है।

एएम ब्रांट कलेक्शन भी अपने आप में कम खास नहीं है। इसमें कलाकृतियों को न सिर्फ बाजार से बल्कि कलाकारों के परिजनों, उनके प्रियजनों एवं प्रतिष्ठित संग्राहकों से व्यक्तिगत संबंधों के जरिए भी एकत्र किया गया है। यह एक विरासत को संजोने का प्रयास है जिसे पूरे सम्मान एवं जिम्मेदारी के साथ संरक्षित किया गया है। यहां की हर कलाकृति में एक कहानी छिपी है जो अक्सर अनकही सी रह गई है।

फाउंडेशन के सह-संस्थापक बुती अल सुवेदी के अनुसार, “अबूधाबी वो स्थान है जहां परंपराओं को एक नया जीवन मिलता है। ये भारत की दृश्य विरासत को गरिमा और धमक के साथ मनाने के लिए आदर्श स्थल है।”

फाउंडेशन की ये पहल अबूधाबी की पर्यटन रणनीति- 2030 के अनुरूप है जिसमें संस्कृति और रचनात्मकता को अमीरात के विकास की धुरी के रूप में परिलक्षित किया गया है। ऐसे परिदृश्य में भारत भाव फाउंडेशन केवल एक कला संस्था के रूप में नहीं बल्कि एक ऐसे सेतु की भूमिका में दिख रहा है जिसमें आत्मविश्वास एवं गहराई से लबरेज भारतीय कला पूरी दुनिया के साथ एक आत्मीय संवाद करती नज़र आ रही है।

फाउंडेशन के दूसरे सह-संस्थापक आनंद शरद माडिया का कहना है कि, “ये महज़ पेंटिंग्स नहीं हैं। ये विरासत है स्मृतियों और काल चक्र की। हम अतीत को सिर्फ संजो नहीं रहे बल्कि उसे फिर से जीवंत करने की कोशिश कर रहे हैं।”

फाउंडेशन के प्रस्तावित कार्यक्रमों में कलाकृतियों को बदल-बदल का प्रदर्शनियों का आयोजन, क्यूरेटोरियल रेजीडेंसी, फेलोशिप्स, डिजिटल म्यूजियम की स्थापना एवं हर दो वर्ष पर भारत भाव समारोह का आय़ोजन शामिल है। फाउंडेशन को पहला बड़ा उपहार शारजाह के बुती अल सुवेदी परिवार और अहमदाबाद के माडिया परिवार से दान में मिला “द सेक्रेड ट्वेल्व” है। ये उपहार स्थायी संग्रह की पहली कड़ी बनेगा।

भारत अपने स्वतंत्रता दिवस समारोहों के करीब है। इस मौके पर भारत भाव फाउंडेशन भी अपना योगदान देने से पीछे नहीं है। सांस्कृतिक आत्म- अभिव्यक्ति को सम्मानित करके वो भी यह संकेत देने का प्रयास कर रहा है कि स्वतंत्रता केवल संघर्ष से ही हासिल नहीं होती बल्कि वो कहानी से भी जीवंत बनती है। सिर्फ कोलाहल उसका अंश नहीं, संवेदना का साथ भी जरूरी है, सिर्फ जल्दीबाजी ही नहीं उसके साथ गरिमा का होना भी कहीं जरूरी है।

 

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