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यूएसएड (USAID) ने भारत में ट्यूबरकुलोसिस खत्म करने को लेकर आयोजित नेशनल कॉन्फ़्रेंस को दिया समर्थन

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Business Wire Indiaयूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने कर्नाटक हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी), नेशनल ट्यूबरकुलोसिस एलिमिनेशन प्रोग्राम और ग्लोबल कोलिशन अगेंस्ट टीबी के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण कॉन्फ़्रेंस का आयोजन किया। इस कॉन्फ़्रेंस का उद्देश्य 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय़ स्तर पर किए जा रहे प्रयासों को गति देना था। “नेशनल कंसल्टेशन ऑफ टीबी एलिमिनेशन: बिल्डिंग सिनर्जी फॉर अ टीबी मुक्त भारत” शीर्षक से आयोजित किए गए इस कॉन्फ्रे़ंस में संसद सदस्यों, विधानसभा सदस्यों, पंचायती राज के नेताओं, तकनीकी विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों समेत सभी प्रमुख पक्षों ने हिस्सा लिया और टीबी को खत्म करने से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा भी की।
 
माननीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि प्रगति करने तथा सामाजिक-आर्थिक विकास का लक्ष्‍य हासिल करने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य को प्राथमिकता देना आवश्‍यक है।
 
उन्‍होंने कहा कि यह सिर्फ सरकार की जिम्‍मेदारी नहीं है, और ”टीबी मुक्‍त भारत का सपना साकार करने के लिए मिल-जुलकर काम करने’’ का भी आह्वान किया।
 
उन्‍होंने कहा कि इस लक्ष्‍य को साकार करने के लिए एक नया पोर्टल लॉन्‍च किया जाएगा। इसमें पूरे देश के टीबी-संबंधी आंकड़ों को उपलब्‍ध कराया जाएगा और यह सभी के लिए पहुंच के भीतर भी होगा। साथ ही, कोई भी व्‍यक्ति किसी टीबी मरीज़ को ‘एडॉप्‍ट’ कर उसके इलाज और पोषण के खर्चों का भी वहन कर सकेगा। इस तरह, यदि हम में से प्रत्‍येक व्‍यक्ति एक या अधिक मरीज़ों को ‘एडॉप्‍ट’ करें तो 2025 तक इस लक्ष्‍य को हासिल किया जा सकता है।”
 
डॉ दलबीर सिंह, प्रेसीडेंट, ग्‍लोबल कोएलिशन अगेन्स्ट टीबी (जीसीएटी) ने कहा, ”यदि हम इस देश को तपेदिक जैसे दानव से मुक्ति दिलानी है तो हमें समूचे राजनीतिक वर्ग को इस अभियान से जोड़ा होगा, भागीदारियां बनानी होंगी और निजी क्षेत्र को भी साथ लेना होगा। हमें एक बहु-वर्गीय दृष्टिकोण लेकर चलना होगा। हमें 2025 तक देश को टीबी मुक्‍त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता पर अमल कर शेष दुनिया के लिए उदाहरण सामने रखना होगा।”
 
सांसदों की ओर से श्री भुवनेश्‍वर कलिता, संसद सदस्‍य ने कहा, ”हमें टीबी उन्‍मूलन के लिए समाज के सबसे कमजोर और जोखिमग्रस्‍त समुदायों तक पहुंचने के लिए बहुक्षेत्रीय नज़रिया अपनाना होगा, ताकि इस अभियान में कोई भी छूटे नहीं।”
 
डॉ राजेंद्र जोशी, डिप्‍टी डायरेक्‍टर जनरल, एनटीईपी ने समाज के हाशिए पर गुजर बसर करने वाले समुदायों तक पहुंचने की राह में पेश आने वाली अड़चनों का जिक्र किया। उन्‍होंने कहा, ”हमें टीबी के खिलाफ युद्ध में सामाजिक शर्मिंदगी को दूर करने के साथ-साथ जोखिम के कारकों को भी हटाना होगा।”
 
एक अन्‍य पहलू को रेखांकित करते हुए श्री मोहन एचएल, सीईओ केएचपीटीने कहा, ”स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी किसी भी हस्‍तक्षेप के अंतर्गत कार्यस्‍थल और रिहाइशी स्‍थलों को शामिल करना जरूरी है ताकि हम शहरों में रहने वाले जोखिमग्रस्‍त समूहों की स्‍वास्‍थ्‍य जरूरतों को भी पूरा कर सकें।” 
 
इस समस्‍या की गंभीरता को स्‍वीकार करते हुए सुश्री संगीता पटेल, हैल्‍थ ऑफिस डायरेक्‍टर, यूएसएड इंडिया ने कहा, ”हमें इस पर भी सोच-विचार करना होगा कि हम अपने मौजूदा कार्यक्रमों को किस प्रकार अलग तरीके से कर सकते हैं, कुछ इस तरह से जैसे कि हमने पहले न किया हो।”
 
वर्ष 1998 से ही अमेरिका और भारत साथ मिलकर टीबी का मुकाबला करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए मरीज़ों को ध्यान में रखकर बीमारी का पता लगाने, उपचार और बचाव के बेहतर तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है और इस तरह 1.5 करोड़ से ज़्यादा लोगों को इस बीमारी से लड़ने में मदद दी गई है। यूएसएड, भारत सरकार और अपने पार्टनर्स, दोनों के साथ मिलकर उन समुदायों के लिए काम करता है जहां टीबी का दुष्प्रभाव सबसे ज़्यादा है। टीबी कार्यक्रम ज़्यादा असरदार हों, इसके लिए उन समुदायों का भरोसा, उनकी हिस्सेदारी और ज़िम्मेदारी समझने की भावना बेहद ज़रूरी है। इस चर्चा के दौरान उन सामुदायिक चैंपियन और पीड़ितों को भी शामिल किया गया जिन्होंने टीबी और उससे जुड़ी मुश्किलों का सामना करने को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

इस कॉन्फ़्रेंस के दौरान, टीबी को खत्म करने में हर स्तर पर चुने गए प्रतिनिधियों की भूमिका, अंतिम छोर तक पहुंचने, टीबी की समस्या का सामना करने के महत्व जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई। चर्चा में हिस्सा ले रहे प्रतिभागियों ने सभी पक्षों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाने, समुदायों को जोड़ने, डर को खत्म करने और टीबी मुक्त भारत प्रयास में पिछड़े तबकों  को शामिल करने जैसे विषयों पर भी बात की। आखिर में प्रतिभागियों ने टीकाकरण और कम अवधि के उपचार समेत इलाज के नए इनोवेशन भी साझा किए। जानकारी साझा करने के अलावा, इस कॉन्फ़्रेंस से टीबी के खिलाफ साझा लड़ाई से जुड़े सभी पक्षों के संबंधों को मज़बूती देने का प्रयास किया गया।

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