Homeपरिदृश्यटॉप स्टोरीMonkeypox बन रहा है दुनिया के लिए नया खतरा

Monkeypox बन रहा है दुनिया के लिए नया खतरा

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : कोविड के बाद सेहत के मामले में दुनिया के सामने एक नया खतरा पैदा हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे हेल्थ इमरजेंसी करार देते हुए दुनिया के सभी देशों से सतर्क रहने और इसके प्रसार को रोकने के लिए हर मुमकिन कदम उठाने को कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी सभी राज्यों से मंकीपॉक्स वायरस से सावधान रहने और इसके प्रसार को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। उसने राज्यों से कहा है कि इस रोग के बारे में जनता को लगातार जागरूक किया जाए, जरूरी चिकित्सा इंतजाम किए जाएं और लोगों को बताया जाए कि इससे कैसे बचा जा सकता है। केंद्र ने इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए एयरपोर्ट्स और बंदरगाहों पर विशेष सतर्कता बरतने के भी निर्देश दिए हैं।

 

पाकिस्तान पहुंचा वायरस  

अफ्रीका के बाद मंकीपॉक्स के ताजा मामले हाल में ही पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा में सामने आए हैं। यहां तीन लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं। इससे पहले और भी कई देशों में मंकीपॉक्स का संक्रमण फैल चुका है। भारत में इसका पहला केस 2022 में दर्ज किया गया था और तब से यहां इसके 27 मामले सामने आ चुके हैं। देश में इस साल मार्च के बाद इसका कोई नया केस सामने नहीं आया है। बावजूद इसके, भारत पर भी खतरा बना हुआ है, क्योंकि दुनिया के तमाम देशों में लोगों का आना-जाना लगा रहता है।

अब तक एक लाख संक्रमित

WHO ने दूसरी बार मंकीपॉक्स के फैलाव को हेल्थ इमरजेंसी करार दिया है। पहली बार, इसे तब हेल्थ इमरजेंसी करार दिया गया था, जब कांगो और आसपास के देशों में यह फैला था। WHO का कहना है कि 2022 से इस वायरस के कारण 116 देशों में करीब एक लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और 208 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस का पता पहली बार लैब में रखे बंदरों में 1958 में चला था। अभी इसके एक नए स्ट्रेन 1बी के कारण संक्रमण फैल रहा है। इस साल दुनिया में इसके अब तक करीब 16 हजार केस सामने आ चुके हैं और इसके कारण 540 लोगों की जान जा चुकी है।

कैसे फैलता है 

यह वायरस जानवरों से इंसान में फैला है। इंसानों में यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। इसके संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द के साथ ही शरीर पर दाने या फफोले निकल जाते हैं। इसका लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। अगर समय से और सही इलाज नहीं किया जाए तो रोगी की जान भी जा सकती है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं में इसका संक्रमण घातक साबित हो सकता है।

 फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

 

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