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डॉलर के मुकाबले युवान…क्या दुनिया ‘करेंसी वॉर’ के मुहाने पर खड़ी है…?

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नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए शोध डेस्क ) : दुनिया में जल्दी ही एक नए किस्म का मुद्रा युद्ध यानी करेंसी वॉर देखने के मिल सकता है। अभी तक दुनिया में बेस करेंसी के रूप में ज्यादातर अमेरिकी डॉलर का ही इस्तेमाल होता रहा है। यूरो, येन और स्टर्लिंग भी वैकल्पिक मुद्राओं के रूप में चलन में रहे हैं। लेकिन चीन बहुत तेजी के साथ इस करेंसी वॉर में अपनी पकड़ को मजबूत बना रहा है। डॉलर के समानांतर करेंसी बाजार में पिछले महीने यानी मार्च में पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चीनी करेंसी युवान में ज्यादा भुगतान किया गया।

विशेषज्ञों के अनुसार, मध्य पूर्व के देशों से लेकर रूस तक ऐसे देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में भुगतान युआन में कर रहे हैं। हालांकि अमेरिकी डॉलर अब भी दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक भुगतानों की प्रमुख मुद्रा बना हुआ है। विश्लेषक मानते हैं कि, चीन की सरकार चूंकि युआन पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहेगी, लिहाजा ऐसी संभावनाएं फिलहाल कम ही दिखती है कि पूरी दुनिया में आपसी भुगतान युआन में होने लगे लेकिन नया व्यापारिक ढांचा खड़ा होता दिख जरूर रहा है। खासतौर पर रूस को पश्चिमी भुगतान व्यवस्था से बाहर किए जाने के कदम ने इस व्यवस्था को मजबूती दी है क्योंकि रूस के साथ व्यापार करने वाले देश अब वैकल्पिक व्यवस्थाएं तलाश रहे हैं।

समाचार एजेंसी एपी की एक रिपोर्ट में हांगकांग में एसेट मैनेजमेंट में निवेश प्रबंधन रणनीतिकार ची लो के हवाले से बताया गय़ा है कि, चीन, रूस और ब्राजील दुनिया के सबसे बड़े कमोडिटी निर्यातक और आयातक हैं। वे अब अंतर्राष्ट्रीय लेन-देने के लिए युआन का इस्तेमाल करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उनका सहयोग अन्य देशों को भी युआन की ओर आकर्षित कर सकता है और धीरे-धीरे ये समूह युआन के इस्तेमाल को बढ़ा सकता है, जिससे डॉलर को नुकसान होगा।

रूस पर प्रतिबंधों ने युवान को रफ्तार दी

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस पर जो वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं, उन्होंने इस दिशा में प्रगति को और रफ्तार दे दी है। रूस अब चीन के बाहर युआन में लेन-देन का चौथा सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। रूस के मुद्रा बाजार में युआन की हिस्सेदारी पिछले साल की शुरुआत में सिर्फ एक फीसदी थी जो अब बढ़कर 40 से 45 प्रतिशत तक हो चुकी है। स्विफ्ट के मुताबिक दो साल पहले वैश्विक व्यापारिक वित्त में उसकी हिस्सेदारी 1.3 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो चुकी है। डॉलर की हिस्सेदारी 84 फीसदी के आसपास है।

वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्ट्डीज के जेरार्ड डिपीपो और एंड्रिया लिओनार्ड पालाजी ने पिछले हफ्ते एक लेख में लिखा कि, ‘युवान वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर की जगह नहीं ले पाएगा लेकिन चीन के व्यापारिक लेनदेन में युआन ने डॉलर की जगह लेना शुरू कर दिया है।’ वे लिखते हैं कि, ‘युआन के अंतर्राष्ट्रीयकरण से चीन के कई लक्ष्य पूरे हो सकते हैं, जैसे कि करेंसी रेट में उतार-चढ़ाव के कारण संभावित खतरों से सुरक्षा और अमेरिकी वित्तीय प्रतिबंधों से बचाव।’

फिलहाल, अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में युआन का हिस्सा मात्र 2.2 प्रतिशत है, जिसे चीन बढ़ाना चाहता है। लेकिन ऐसा लगता है कि वो अपने पूंजी खातों को बाकी देशों के लिए खोलना नहीं चाहता, जिससे कि युआन का इस्तेमाल भी उसी आजादी के साथ हो सके, जिस आजादी के साथ डॉलर, यूरो या येन प्रयोग किए जाते हैं।

चुनौतियां भी कम नहीं

वैश्विक व्यापारिक लेन-देन पर अमेरिकी डॉलर, यूरो, स्टर्लिंग और येन का कब्जा है और उसमें फिलहाल तो कोई बदलाव आता नहीं दिख रहा है। ऐसा इसलिए है कि सभी खुली अर्थव्यवस्थाओं के लिए ये मुद्राएं आराम से उपलब्ध हैं। चीनी युआन के मामले में ऐसा नहीं है।

बीजिंग स्थित हुआचुआंग सिक्योरिटीज में विश्लेषक जांग यू कहते हैं कि, ‘अधिकतर लेनदेन में आयातकों के पास व्यापारिक शर्तें जैसे कि कीमतें और भुगतान की मुद्रा तय करने का अधिकार होता है। इसलिए निर्यातकों को युआन का इस्तेमाल करने के लिए आयातकों को युआन में भुगतान के लिए मनाना होगा और ये आसान नहीं है।’ इसके अलावा, चीन को देश के बाहर युआन का एक सीमित भंडार उपलब्ध कराना होगा, जिस पर नियंत्रण करना उसके लिए मुश्किल हो जाएगा।

चुनौतियों के बावजूद, बहुत से व्यापारिक साझीदार युआन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मसलन, अर्जेंटीना ने कहा है कि वो चीनी उत्पादों के लिए भुगतान डॉलर में नहीं बल्कि युआन में ही करना चाहता है। हालंकि इसके पीछे अर्जेंटीना की मजबूरी ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, अर्जेंटीना का डॉलर रिजर्व खस्ताहाल है और वो किसी भी रास्ते से उसे बचाना चाहता है इसलिए उसकी कोशिश युवान में लेनदेन से डॉलर के खर्च को बचाने की है।

बहरहाल, संभव है थोड़ा वक्त लगे, थोड़ी बहुत मुश्किलें भी आएं लेकिन चीनी करेंसी युवान धीमे-धीमे ही सही लेकिन वैश्विक मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हो रही है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

 

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