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साइकिल पर आईएएस ! समझिए, क्या है सोच और क्यों है मिसाल ?

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देहरादून, 04 अगस्त ( गणतंत्र भारत के लिए शोध डेस्क ) : सैद्धांतिक और किताबी ज्ञान बांटने वाले लोग आपको-हमको हर जगह मिल जाते हैं लेकिन ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो अपने जीवन में ऐसा कुछ करते हैं कि वे खुद दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं। गणतंत्र भारत के गेमचेंजर सेक्शन में आज हम आपको ऐसे ही एक आईएएस अफसर की कहानी बताने जा रहे हैं जो अपने श्रम से न सिर्फ पर्यावरण को फायदा पहुंचा रहे हैं बल्कि सरकारी खजाने पर बोझ भी कम कर रहे हैं।

2004 बैच के आईएएस बीवीआरसी पुरुषोत्तम इन दिनों देहरादून में उत्तराखंड इंटेगरेटेड कोऑपरेटिव डवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिस में बतौर चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं। आईएएस अफसर हैं तो सारा सरकारी तामझाम है ही। उनका सरकारी आवास गढ़ी कैंट में है जबकि ऑफिस राजपुर रोड पर। घर से ऑफिस की दूरी तकरीबन 8 किलोमीटर है। सरकारी वाहन उपलब्ध है लेकिन ठीक 8.30 बजे पुरुषोत्तम अपनी साइकिल से दफ्तर के लिए निकल जाते हैं ताकि वे 9.30 बजे तक अपने ऑफिस पहुंच जाएं।

ऑफिस जाते वक्त पुरुषोत्तम अपनी पीठ पर एक बैग भी टांगते हैं जिसमें उनका लैपटॉप और खाना-पानी रहता है। इसके अलावा वे  साइकिल चलाते वक्त हेल्मेट लगाना नहीं भूलते।

ऑफिस आने-जाने के अलावा पुरुषोत्तम सुबह 20 किलोमीटर साइकिल अलग से चलाते हैं। उनका कहना है कि साइकिल चलाने से हमारा शरीर फिट रहता है साथ ही ये पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक नहीं होता। वे कहते हैं कि उत्तराखंड एक हरा-भरा राज्य है इसकी हरियाली बरकरार रहे इसके लिए सभी को कुछ न कुछ पहल करनी चाहिए।

पुरुषोत्तम का कहना है कि, वे कार से अपने ऑफिस की दूरी को महज 7-10 मिनट में तय कर सकते हैं लेकिन साइकिल से जाने के कई फायदे हैं। ऑफिस ऑवर में सड़कों पर भीड़भाड़ से बच जाते हैं, शरीर फिट रहता है, सरकारी खर्च बचता है और साथ ही सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरण को नुकसान नहीं होता।

दिल्ली की बदहाली से मिली नसीहत

पुरुषोत्तम का कहना है कि, दिल्ली में साल 2019 -20 के दौरान जब वे वहां डेपुटेशन पर थे तब उन्हें पर्यावरण और ध्वनि प्रदूषण के खतरनाक असर के बारे में जानने-समझने का मौका मिला। सचमुच राष्ट्रीय राजधानी के हालात बहुत बुरे थे। वे कहते हैं कि, मुझे लगता है आज की सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण ही बन गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा

ऐसा करने के लिए किसने प्रेरित किया, इस सवाल पर पुरुषोत्तम बताते हैं कि, उन्हें ये प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जून को ‘लाइफस्टाइल फ़ॉर एनवायरनमेंट मूवमेंट’ को शुरू किया और बस में 7 जून से दफ्तर साइकिल से आने लगा। छोटा ही सही लेकिन पर्यावरण को बचाने में इस बहाने कुछ तो योगदान हो ही जाता है। उनका सुझाव है कि सभी लोगों को सप्ताह में कुछ दिन तो जरूर साइकिल से दफ्तर आना चाहिए।

आपको बता दें कि, पुरुषोत्तम 2012 में देहरादून के जिलाधिकारी और 2019 में गढ़वाल मंडल के आयुक्त रह चुके हैं।

पुरुषोत्तम से पहले उत्तरकाशी के जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने भी सरकारी कर्मचारियों के लिए साइकिल से दफ्तर आने जाने के लिए इस्तेमाल करने की पहल की थी। उन्होंने 2016 में एक अभियान भी शुरू किया था जिसमें सरकारी कर्मचारियों से हफ्ते में कम से कम एक दिन दफ्तर आने-जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करने की अपील की गई थी।

फोटो सौजन्य – सोशल मीडिया

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