नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए लेखराज) : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान वैसे को तमाम चीजें आकर्षण के केंद में थीं लेकिन, उपराष्ट्रपति जेडी वांस का शपथ लेना कुछ खास ही था। इस दौरान उनकी तरफ, लगातार टकटकी लगाए उनकी पत्नी ऊषा चिलुकरी वांस उनके बगल में उन्हें गर्वित निगाह से देखती रहीं। अगल- बगल गोरों से भरे समारोह में गेहुंए रंग की ऊषा की मौजूदगी से मिलती चुनौती एक अलग ही गरिमा बिखेर रही थी।
वांस ने 2016 में एक संस्मरण में ऊषा के बारे में कहा था कि, “वे आनुवंशिक रूप से अनूठी हैं, वे इंसान के सभी सकारात्मक गुणों का मिलाजुला रूप हैं- तेजस्वी, परिश्रमी, लंबी और बेहद खूबसूरत।”
ऊषा आज अमेरिका की सेकंड लेडी हैं और उन्होंने अपनी उपस्थिति से दुनिया भर के लोगों का दिल जीत लिया। कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि ऊषा की उपस्थिति से फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप की मौजूदगी भी फीकी पड़ गई।
ऊषा पेशे से एक वकील हैं। अब उन्हें सेकंड लेडी की भूमिका निभानी होगी। ऊषा का जन्म सेन दिएगो, कैलीफोर्निया में 1984 में एक अप्रवासी भारतीय परिवार में हुआ। उनके पिता राधाकृष्ण चिलुकरी आईआईटी मद्रास से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री लेकर निकले थे जबकि उनकी मां लक्ष्मी मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट थीं। राधाकृष्ण सेन दिएगों स्टेट युनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में प्रोफेसर थे जबकि लक्ष्मी कैलीफोर्निया युनिवर्सिटी सेन दिएगों में प्रोवोस्ट थीं जहां वे लगातार नस्ल, जातीयता, और जेंडर भेद के खिलाफ लड़ती दिखाई दीं।
ऊषा का पालनपोषण एक उदारवादी सोच वाले परिवार में हुआ। उन्होंने येल युनिवर्सिटी से इतिहास में ग्रेजुएशन करने के बाद येल लॉ स्कूल से कानून की पढ़ाई की। यहीं उनकी मुलाकात जेडी वांस से हुई। पहले पहल उन्होंने एक कॉरपोरेट लेजिस्लेटर के रूप में काम शुरू करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के लिए क्लर्क का काम भी किया।
वांस के शपथ ग्रहण के दौरान ऊषा की एकटक निगाह और चेहरे पर आत्मविश्वासस से भरी मुस्कान ने बहुतों का ध्यान खींचा। टिप्णणीकारों और मीडिया ने भी इस बारे में काफी कुछ कहा। समीक्षकों ने उनके दृढ़ पोस्चर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऊषा ने वहां अपनी भाव भंगिमा से उस वर्ग को संदेश दे दिया जिसे वह संबोधित करना चाहती थी।
एक टिप्णीकार ने उनकी ड्रेस के बारे में लिखा कि, उन्होंने ऑस्कर डे ला रेंटा और रीम एक्रा के गाउंस को पहन कर पूर्व अमेरिकी फर्स्ट लेडी जैकलिन कैनेडी- ओनासिस की स्टाइल से मिलता जुलता काम किया और यह संदेश दिया कि वे भविष्य में उनकी तरह की भूमिका के लिए तैयार हो रही हैं। ऑस्कर डी ला रेंटा अपनी डोमिनिकन पहचान और एक्रा अपनी लेबनीज पहचान को लेकर बहुत गहराई से समर्पित थे। वे दोनों भी अप्रवाससी थे और ऊषा ने भी इनके जरिए अपनी मूल पहचान को लेकर संजीदगी का परिचय दिया है। जबकि शपथ ग्रहण समारोह से पहले एक दूसरे आय़ोजन में ऊषा ने भारतीय डिजाइनर गौरव गुप्ता के डिजाइन कपड़ों को पहना था।
ऊषा के विशाल अनुभव और लोगों के बीच उनकी स्वीकारोक्ति ने वांस को उनके राजनीतिक सफर में ऊंचाई देने में काफी मदद की है। पहले वे डेमोक्रेट थीं लेकिन उसके बावजूद रिपब्लिकन पार्टी में उनकी अच्छी खासी पैठ थी। राजनीतिक व्यावहारिकता में भी उनका कोई जवाब नहीं। जब उनके पति ने नामांकन दाखिल किया तो उसी समय उन्होंने अपनी कानूनी नौकरी को छोड़ दिया।
भारतीय मूल की पहली सेकंड लेडी के रूप में संभव है कि ऊषा कोई क्रांतिकारी काम न कर पाएं लेकिन फिर भी भविष्य में एक बड़ी भूमिका के लिए वे खुद को तैयार तो कर ही सकती हैं। और यह कहा जा सकता है कि उन्होंने उसे देखते हुए अपनी जमीन को तैयार करना शुरू भी कर दिया है।
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