लखनऊ (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क ) : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावो में लड़की हूं लड़ सकती हूं के नारे के साथ कांग्रेस ने एक बड़ा दांव खेला। पार्टी के निगाह अपने खिसक चुके जनाधार में से महिलाओं का एक अलग वोटबैंक खड़ा करने पर थी। प्रियंका गांधी खुद कमान संभाल रही थीं तो पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी उत्साह था। पार्टी ने इस नारे को एक पोस्टर के साथ लांच किया। उस पोस्टर में कुछ लड़कियों की तस्वीरें भी थीं। उन्हीं पोस्टर गर्ल्स में से एक प्रियंका मौर्या ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है।
पोस्टर गर्ल प्रियंका का दावा
पोस्टर गर्ल ने कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा है कि, वे चाहती हैं कि कांग्रेस उनके चेहरे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में न करे और इसके लिए किसी और चेहरे की तलाश कर ले। उन्होंने कहा कि जब पोस्टर रिलीज हुआ तभी उन्हें भी पता चला कि उनकी तस्वीर का इस्तेमाल हुआ है। इस बारे में उनसे कोई लिखित अनुमति नहीं ली गई थी। कांग्रेस ने भी देरी नहीं की। पार्टी के आज युवा मेनीफोस्टो भर्ती विधान जारी किया और उसमें लड़की हूं लड़ सकती हूं वाली प्रियंका की जगह किसी और लड़की का चेहरा दिखाई दिय़ा।
प्रियंका मौर्या ने दावा किया कि वे पिछले एक साल से कांग्रेस की सक्रिय सदस्य रही हैं। उत्तर प्रदेश महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष थी। उससे पहले, युवा कांग्रेस की जनरल सेक्रेटरी के तौर पर भी उन्होंने काम किया है। वे लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा सीट से टिकट मांग रही थी। पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट में उस सीट से उनका नाम टॉप पर था लेकिन पार्टी ने आखिरी वक़्त पर टिकट रुद्र दमन सिंह को दे दिया।
उन्होंने कहा कि, पार्टी की पोस्टर गर्ल होने के नाते उन्होंने टिकट नहीं मांगा बल्कि अपने काम के आधार पर टिकट मांगा।

प्रियंका ने आरोप लगाया कि, कांग्रेस पार्टी केवल महिलाओं की बात करती है, लेकिन मौके पर महिलाओं को उनका हक़ और अधिकार नहीं देती। ‘लड़की हूँ लड़ सकती हूं’ केवल एक नारा है। किसी की काबिलियत के हिसाब से कांग्रेस में टिकट नहीं मिलता, केवल पैसे और पहुंच के हिसाब से टिकट मिलता है। महिला होने के नाते मैंने इस बात का विरोध किया, किसी ने मेरा साथ नहीं दिया और इसलिए पार्टी छोड़ दिया।
कांग्रेस ने क्या कहा ?
कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि पोस्टर पर आम जैसी दिखने वाली लड़कियों की तस्वीर लगनी थी और प्रियंका मौर्या का चेहरा उस खांचे में फिट बैठता था। इसलिए उनकी फोटो इस्तेमाल की गई। अगर वे नहीं चाहती तो कोई बात नहीं। पार्टी का कहना है कि, पोस्टर पर आम लड़कियों की तस्वीर की ज़रूरत थी। उसके लिए ऐसी कोई शर्त नहीं थी कि उनका राजनीति से जुड़ा होना ज़रूरी है। पोस्टर पर कई दूसरी लड़कियां भी हैं, उनमें से किसी का राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। जब पार्टी लड़कियों के लिए अपने कैम्पेन की शुरूआत कर रही थी, तब इनसे सम्पर्क हुआ और उस वक़्त इनको लिया गया था। उसके बाद उनकी बहुत ज़्यादा बात सुनाई नहीं दी। फिर ये पूरा विवाद सामने आया कि उनको टिकट चाहिए था।
कांग्रेस ने ये भी साफ किया कि सरोजनी नगर सीट से प्रियंका की दावेदारी थी लेकिन पार्टी ने जो आंतरिक सर्वे कराया उसमें प्रिंयका मौर्या की उम्मीदवारी को उपयुक्त नहीं पाया गया और उन्हें टिकट के लायक नहीं समझा गया। प्रियंका इसी बात से खफा हो गईं और पोस्टर गर्ल ने इसे अपनी तौहीन समझा।
बीजेपी के लिए क्यों है प्रियंका खास ?
बीजेपी ने चुनावी माहौल में कांग्रेस के कैंपेन पोस्टर के चेहरे को अपनाने में देर नहीं की लेकिन पार्टी ने उसे सरोजनी नगर से टिकट देने का वादा नहीं किया। इस सीट से राज्य सरकार में मंत्री स्वाति सिंह मौजूदा विधायक हैं और संभव है कि उन्हें ही पार्टी यहां से टिकट भी दे। बीजेपी के लिए प्रियंका मौर्या वो चेहरा हैं जो कांग्रेस के मास्टर स्ट्रोक लड़की हू लड़ सकती हूं जैसे कैंपेन की पहचान थीं। बीजेपी उस पहचान पर डेंट मारने में कामय़ाब रही।
कौन हैं प्रियंका मौर्या ?
आपको बता दें कि, प्रियंका मौर्या 32 साल की है और उनकी 4 साल की बेटी है। पेश से वे होम्योपैथिक ड़ॉक्टर है और उनका पूरा परिवार लखनऊ में ही रहता है। उनका दावा है कि वे पिछले पांच साल से वे समाज सेवा के काम से जुड़ी हैं और कोरोना मंहामारी के दौरान उन्होंने काफी काम किया। उनका दावा है कि सोशल मीडिया पर उनके 10 लाख से ज्यादा फॉलोवर हैं और इसी कारण कांग्रेस पार्टी ने उनसे संपर्क किया।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया