Homeपरिदृश्यटॉप स्टोरी‘मोदीज़ मैग्नित्सकी -11’...विज्ञापन या भारत को बदनाम करने की साजिश ?

‘मोदीज़ मैग्नित्सकी -11’…विज्ञापन या भारत को बदनाम करने की साजिश ?

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नई दिल्ली 16 अक्टूबर ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र) : क्या वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने के लिए साजिशन कोई अभियान चलाया जा रहा है ? विश्व हंगर इंडेक्स में भारत के स्थान को लेकर अभी विवाद थमा नहीं कि इसी बीच अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक ऐसा विज्ञापन छप गया जिसने एक नई बहस को शुरू कर दिया। मंशा पर शक तब और गहराता है जबकि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विश्व बैंक की सालाना बैठक में शामिल होने के लिए 11 से 16 अक्टूबर तक अमेरिका की यात्रा पर हैं और भारत विरोधी लॉबी इस समय वहां अति सक्रिय भूमिका में है।

वॉल स्ट्रीट जनरल में छपे विज्ञापन में क्या है ?

विज्ञापन 13 अक्टूबर को छपा। इस विज्ञापन में लिखा गया है कि, ‘मिलिए उन अधिकारियों से जिन्होंने भारत को निवेश के लिए एक असुरक्षित जगह बना दिया।‘ विज्ञापन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सुप्रीम कोर्ट के जजों, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और देवास-एंट्रिक्स मामले से जुड़े रहे अन्य अधिकारियों को वॉन्टेड बताते हुए उन पर प्रतिबंध लगाने की मांग गई है।

विज्ञापन में 11 लोगों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है और विज्ञापन का शीर्षक ‘मोदीज़ मैग्नित्सकी 11’ दिया गया है। अमेरिकी सरकार के 2016 के ग्लोबल मैग्नित्सकी क़ानून के तहत उन विदेशी सरकार के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है जिन्होंने मानवाधिकार उल्लंघन किया हो।

इस विज्ञापन में 11 लोगों के नाम देने के बाद लिखा गया है कि, ‘मोदी सरकार के इन अधिकारियों ने राजनीतिक और व्यापारिक प्रतिद्वंद्वियों से हिसाब चुकता करने के लिए राज्य की संस्थाओं को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके क़ानून का शासन ख़त्म कर दिया है और भारत को निवेशकों के लिए असुरक्षित बना दिया है।‘

विज्ञापन कहता है कि,  ‘हम अमेरिकी सरकार से मांग करते हैं कि वो ग्लोबल मैग्नित्सकी ह्यूमन राइट्स अकाउंटेबिलिटी एक्ट के तहत इनके ख़िलाफ़ आर्थिक और वीज़ा प्रतिबंध लगाए। मोदी के शासन में क़ानून के राज में गिरावट आई है और भारत निवेश के लिए ख़तरनाक जगह बन गई है। ‘

विज्ञापन में लिखा है कि,‘अगर आप भारत में निवेशक हैं तो आप अकेले हो सकते हैं.’

विज्ञापन में जिन लोगों के नाम दिए गए हैं उनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, एंट्रिक्स चैयरमेन राकेश शशिभूषण, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन, जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम, सीबीआई डीएसपी आशीष पारिक, ईडी डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा, डिप्टी डायरेक्टर ए. सादिक़ मोहम्मद नैजनार, असिस्टेंट डायरेक्टर आर. राजेश और स्पेशल जज चंद्र शेखर शामिल हैं।

किसने छपवाया विज्ञापन ?

अमेरिकी ग़ैर-सरकारी संस्था फ्रंटियर्स ऑफ़ फ़्रीडम ने इस विज्ञापन को जारी किया है। अपनी वेबसाइट पर संस्था ने अपना परिचय कुछ इस तरह से दिया है। ‘हम एक शैक्षिक संस्था हैं।  हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता, शांति, सीमित सरकार, मुक्त उद्यम, मुक्त बाज़ार और पारंपरिक अमेरिकी मूल्यों’ के सिद्धांत को बढ़ावा देते है।‘

फ़्रंटियर्स ऑफ़ फ़्रीडम के संस्थापक रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर जॉर्ज लैंड्रिथ हैं। उन्होंने इस विज्ञापन को ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि ‘फ़्रंटियर्स ऑफ़ फ़्रीडम का नया विज्ञापन इंडियाज़ मैग्नित्सकी इलेवन और वित्त मंत्री की कार्रवाई को बेनक़ाब करता है, जिन्होंने भारत में क़ानून के शासन और निवेश के माहौल को नष्ट कर दिया है।

लैंड्रिथ ने अगले ट्वीट में लिखा कि, ‘इंडियाज़ मैग्नित्सकी इलेवन, निर्मला सीतारमण, नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने भारत में संभावित निवेशकों को साफ़ संदेश दिया है कि भारत निवेश के लिए ख़तरनाक जगह है।‘

आपको बता दें कि, इसी साल अगस्त में फ़्रंटियर्स ऑफ़ फ़्रीडम ने ग्लोबल मैग्नित्सकी ह्यूमन राइट्स अकाउंटेबिलिटी एक्ट के तहत एक याचिका दायर की थी जिसमें उसने भारतीय अधिकारियों पर संस्थाओं के ग़लत इस्तेमाल का’ आरोप लगाते हुए कहा था कि वे भारत की आपराधिक जांच एजेंसियों और अदालतों के ज़रिए एक अनुबंध विवाद के दायित्व पर गतिरोध पैदा कर रहे हैं। याचिका के दस्तावेज़ में दर्ज था कि फ़्रंटियर्स ऑफ़ फ़्रीडम इस याचिका को देवास मल्टीमीडिया अमेरिका इंक और उसके सह-संस्थापक रामचंद्र विश्वनाथन की ओर से दायर कर रही है।

क्या भारत के खिलाफ सचमुच छिड़ा है कोई दुष्प्रचार युद्ध ?

भारत में इस विज्ञापन के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया हुई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने ट्वीट कर कहा है कि, ‘जालसाज़ों के ज़रिए अमेरिकी मीडिया का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना शर्मनाक है। वॉल स्ट्रीट जर्नल में भारत सरकार और भारत को ऐसे निशाना बनाना हैरतअंगेज़ रूप से गलत है।‘ उन्होंने अपने अगले ट्वीट में रामचंद्र विश्वनाथन पर आरोप लगाते हुए लिखा कि, ‘क्या आप जानते हैं कि इसके और इन जैसे विज्ञापनों के पीछे कौन है? ये विज्ञापन अभियान भगौड़े रामचंद्र विश्वनाथन ने चलाया है जो कि देवास के सीईओ थे। विश्वनाथन भारत में घोषित भगोड़े आर्थिक अपराधी हैं। भारत का सुप्रीम कोर्ट फ़ैसला दे चुका है कि उनकी कंपनी देवास भ्रष्टाचार में शामिल थी। ये सिर्फ़ भारत सरकार के ख़िलाफ़ अभियान नहीं है। ये न्यायपालिका के ख़िलाफ़ अभियान है। ये भारत की संप्रभुता के ख़िलाफ़ अभियान है।‘

हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग पर सवाल

इससे पहले, ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की बेहद खऱाब रैंकिंग को लेकर भी भारत सरकार ने सवाल उठाए थे। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इसे वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को खराब करने की साजिश का एक हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि, इस वक्त भारत के तेजी से विकास के खिलाफ एक प्रचार युद्ध छेडा गया है और भारत को बदनाम करने के लिए किसी भी तरह के अनर्गल आरोप मढ़े जा रहे हैं।

पत्रकार देवाशीष पात्रा मानते हैं कि, ‘पिछले वर्षों में भारत में जिस तरह की घटनाएं हुईं और सरकारी एजेंसियों का जिस तरह से इस्तेमाल हुआ उससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की साख को डेंट लगा है। इससे ये संदेश भी गया कि सरकार लोकतांत्रिक और संविधान की संरक्षक मानी जाने वाली संस्थाओं को साख को लेकर भी संजीदा नहीं है। इसका फायदा निश्चित रूप से भारत को बदनाम करने वाली संस्थाओं ने उठाया लेकिन मौका तो हमने ही दिया।‘

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया

 

 

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